GUDDU MUNERI

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गणतंत्र दिवस समारोह


" गणतंत्र दिवस समारोह " 


टिंग टी,  टिंग टिंग टी, टिंग टिंग टी, टिंग टी 

टिंग टी,  टिंग टिंग टी, टिंग टिंग टी, टिंग टी  

   खान साहब सुबह फजर की नमाज अदा करके घर लौट कर बिस्तर में ही आराम कर रहे थे तभी उनकी आंख लग गई थी और मोबाइल फोन की रिंगटोन बजे जा रही थी और खान साहब सो रहे थे जैसे ही उनके कानों में रिंगटोन की आवाज जानी शुरू हुई उनकी नींद खुल गई ।

     कुर्ते के जेब से मोबाइल निकालकर देखते हुए किसका फोन आया है और यह फोन था करीम साहब का 

उसके बाद कॉल पिकअप किया तो उधर से आवाज आई 


हेलो ! अस्सलामुआलेकम , 

" और कहां हो खान साहब " 

" आ नही रहे " 

" कहां रह गए ? " 


खान साहब ने उत्तर दिया - " अरे बस आंख लग गई थी 

करीम साहब " 


" हम इंतजार कर रहे है गणतंत्र दिवस समारोह के प्रोग्राम में 

जाने के लिए " करीब साहब बोलें


इधर से खान साहब बोले कि 

" ठीक है भाई साहब आ रहा हूं " 

" तुम वहीं रोड पर दादरी पुलिस चौकी के पास खड़ी गाड़ी के पास ही मिलो " 

" मैं पहुंचा बस पांच मिनट में " 

खान साहब ने पहले तो एक स्वेटर और पहना, सर पर गर्म टोपा लगाया और एक मफलर लिया और चल दिए 


कुछ दूर पैदल चलते चलते पड़ोस के एक सज्जन अमित जी मिलें और देखकर कहा -

" खान साहब आज कहां जा रहे हो ? 

" आज 26 जनवरी पर " 


खान साहब ने चलते हुए उत्तर दिया -

" आज सिकंदराबाद के तिल बेगमपुर गांव जा रहा हूं " 

" आज गणतंत्र दिवस समारोह है वहां " 


और फिर खान साहब  हाथ मिलाकर आगे की ओर चल दिए तथा कुछ दो एक मिनट चलने के बाद वह पुलिस चौकी के पास पहुंचे वहां उन्हें करीम साहब मिले और कई साथी भी वहां पहले से पहुंचे हुए थे ।

   खान साहब व अन्य सभी साथियों ने एक दूसरे से मुलाकत की, सलाम दुआ की और फिर सभी स्कॉर्पियो गाड़ी में बैठकर तिल बेगमपुर गांव के लिये रवाना हो गए ।

         दादरी से तिल गांव बेगमपुर सिकंदराबाद पहुंचने में लगभग आधा पौन घंटे का समय लगा ।

   गाड़ी सीधा ही उस मदरसे के पास रुकी जहां गणतंत्र दिवस समारोह का प्रोग्राम चल रहा था 

मदरसे के बाहर गली में भिड़ देखते  ही मालूम हो गया था कि गणतंत्र दिवस पर तिरंगा झंडा फहराने की तैयारी हो रही है 

     चौड़ी गली होने से एक फायदा हुए गाड़ी साइड में वहीं लगा दी गई ।

और खान साहब सहित सभी साथियों ने गणतंत्र दिवस के प्रोग्राम में शिरकत की ।

 करीम और खान साहब ने प्रोग्राम को ऑर्गेनाइज करने वाले संरक्षक यूसुफ साहब से मुलाकात की ।

संरक्षक साहब ने सभी अतिथियों के लिए विशेष कुर्सियां लगवाई हुए थी और बाकी के लिए अलग तरह की कुर्सियां लगवाई हुई थी मुख्य अतिथि के लिए स्टेज पर ही बैठने का इंतजाम किया हुआ था । 


गली मुहल्ले व मदरसे के बच्चे मदरसे के खुले मैदान में टहल रहे थे और एक साइड में काफी पीने का इंतजाम किया हुआ था जिससे अतिथियों को ठंड का अहसास न हो 

   एक अच्छी सी साफ सुथरी जगह पर  तिरंगा झंडा फूलो से बंधा हुआ लगाया  हुआ  था जिसे फहराने के लिए मुख्य अतिथि खान साहब को बुलाया हुआ था  ।

   दस पांच मिनट बाद  माइक भी चालू हो गया और फिर माइक पकड़े खड़े व्यक्ति ने सरक्षक साहब को मुबारकबाद देते  हुए माइक पर बुलाया ।


संरक्षक यूसुफ साहब को आवाज लगाई गई

" यूसुफ साहब " मेहरबानी करके स्टेज पर आए और दो शब्द कहे " 

यूसुफ साहब वही थोड़ी दूर खड़े साथियों से मुलाकात कर रहे थे नाम की आवाज सुनते ही वह माइक की ओर चल दिए 

और फिर माइक हाथों में लिए और आए हुए सभी साथियों का शुक्रिया अदा किया और गणतंत्र दिवस की मुबारक बाद दी तथा संविधान के जन्मदाता " डॉ भीम राव अंबेडकर " को याद किया  ।

और फिर  मुख्य अतिथि जी को  माइक पर बुलाया गया-

" खान साहब आए और अपने। दो शब्द कहे " 

यूसुफ साहब ने कहा । 


स्टेज पर बैठे खान साहब खड़े हुए और यूसुफ साहब के हाथों से माइक लिया 

स्टेज के सामने सोइयो लोग कुर्सियों पर बैठे यह प्रोग्राम देख रहे थे और बीच बीच में ताली भी बजा रहे थे 

   खान साहब ने गणतंत्र दिवस की सभी को बधाई देते हुए 

डॉ अंबेडकर साहब को याद किया संविधान की कुछ बातें बताई इसी दिन २६ जनवरी १९५० को हमारा संविधान बनकर पूरे भारत पर लागू हुआ था कई राष्ट्र हित की बातें और स्वतंत्रता सेनानियो को याद किया आखिर में झंडा फहराने का समय को बताते हुए - 

" झंडा फहराने का समय हो गया है पीछे सभी लोग अपनी अपनी जगह खड़े होकर झंडे के करीब आ जाए " 


    सूर्योदय तो कब का हो चला था और समय लगभग ०९ : ४५  हो गए थे सभी लोग झंडा फहराने के लिए एकत्रित हो गए और खान साहब ने झंडा फहराने के लिए रस्सी को आकर पकड़ा । 

   और एक साथी माइक के पास ही माइक लेकर खड़ा रहा 

जैसे ही संरक्षक साहब ने अनुमति दी झंडा फहरा दिया गया 

और तुरंत हीं माइक पर खड़े साथी ने राष्ट्रीय गीत ( राष्ट्रगान ) गाना शुरू कर दिया  और माइक के साथ साथ सभी लोग राष्ट्रगान को बड़े गर्व से गाते जा रहे थे ।


" जन-गण-मन अधिनायक जय हे 

भारत भाग्य विधाता 

पंजाब-सिन्धु-गुजरात-मराठा 


द्राविड़-उत्कल-बंग 

विंध्य हिमाचल यमुना गंगा 

उच्छल जलधि तरंग 

तब शुभ नामे जागे, 

तब शुभ आशिष मांगे


गाहे तब जय-गाथा 

जन-गण-मंगलदायक जय हे 

भारत भाग्य विधाता 

जय हे, जय हे, जय हे, 

जय जय जय जय हे ।


जय हिंद जय हिंद जय हिंद " 


के बाद माइक में आवाज लगीं कि -

" सभी लोग अपनी अपनी जगह बैठ जाए " 

थोड़ी देर बाद कुछ साथी मिलकर 

लड्डू से भरे डिब्बे और समोसे से भरे डिब्बे ले आए 

जो लिफाफे में पैक किए हुए थे 


सभी को गणतंत्र दिवस की मुबारकबाद देते हुए यह बच्चे बूढ़े जवान सभी को एक एक पैकेट बांट दिया गया और लोग एक एक पैकेट लेकर अपने अपने घर खुशी खुशी जाते रहे ।


     - गुड्डू मुनीरी सिकंदराबादी 

     - दिनांक : २६/०१/२०२४

     - आज की प्रतियोगिता हेतु 

     - टॉपिक : गणतंत्र दिवस 


[ गणतंत्र दिवस की मुबारकबाद के साथ आज की कहानी को यही समाप्त करते है ] 

शुक्रिया 🙏




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6 Comments

Mohammed urooj khan

27-Jan-2024 07:00 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

27-Jan-2024 09:26 AM

शानदार प्रस्तुति

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Dilawar Singh

27-Jan-2024 07:33 AM

👌👌

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